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कविता

“ जो बात - बात में   बात करे लाठी - डंडे की” निर्मला पुतुल कोई थारी लोटा तो नहीं   कि बाद में जब चाहूँगी बदल लूँगी अच्छा - ख़राब होने पर जो बात - बात में   बात करे लाठी - डंडे की निकाले तीर - धनुष कुल्हाडी जब चाहे चला जाए बंगाल , आसाम , कश्मीर   ऐसा वर नहीं चाहिए मुझे और उसके हाथ में मत देना मेरा हाथ जिसके हाथों ने कभी कोई पेड़ नहीं लगाया   फसलें नहीं उगाई जिन हाथों ने जिन हाथों ने नहीं दिया कभी किसी का साथ किसी का बोझ नही उठाया और तो और जो हाथ लिखना नहीं जानता हो " ह " से हाथ उसके हाथ में मत देना कभी मेरा हाथ

कविता

“ सबसे खतरनाक” अवतार सिंह “पाश” मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती पुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं होती ग़द्दारी और लोभ की मुट्ठी सबसे ख़तरनाक नहीं होती बैठे - बिठाए पकड़े जाना बुरा तो है सहमी - सी चुप में जकड़े जाना बुरा तो है सबसे ख़तरनाक नहीं होता कपट के शोर में सही होते हुए भी दब जाना बुरा तो है जुगनुओं की लौ में पढ़ना मुट्ठियां भींचकर बस वक्‍़त निकाल लेना बुरा तो है सबसे ख़तरनाक नहीं होता सबसे ख़तरनाक होता है मुर्दा शांति से भर जाना तड़प का न होना सब कुछ सहन कर जाना घर से निकलना काम पर और काम से लौटकर घर आना सबसे ख़तरनाक होता है हमारे सपनों का मर जाना सबसे ख़तरनाक वो घड़ी होती है आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो आपकी नज़र में रुकी होती है सबसे ख़तरनाक वो आंख होती है जिसकी नज़र दुनिया को मोहब्‍बत से चूमना भूल जाती है और जो एक घटिया दोहराव के क्रम में खो जाती है सबसे ख़तरनाक वो गीत होता है जो मरसिए की तरह पढ़ा जाता है आतंकित लोगों के दरवाज़ों पर गुंडों की तरह अकड़ता है सबसे ख़तरनाक वो चांद होता है जो हर हत्‍याकांड के बाद वीर

गतिविधियाँ

“ स्कूली बच्चो तथा माता पिता के साथ मिटिंग” छात्र - संवाद डेस्क 15 जनवरी 2019 को ( पी Û डी Û एस Û यू ) की तरफ से स्कूली समस्याओं को लेकर स्कूल के कुछ छात्रों व उनके माता पिता के साथ मिलकर सागरपुर में एक मिटिंग का आयोजन किया गया था , जिसमें कुल मिलाकर 70 से 80 लोगों की भागीदारी थी। इस मिटिंग को वक्ता के तौर पर काम रेड राजीव , काम रेड मृगांक , लेखक वा शिक्षाविद संदीप तोमर उपस्थित थे । मीटिंग का संचालन काम रेड जयदीप ने किया था। यह मिटिंग इस लिए रखी गई थी क्योंकि सरकारी स्कूलों में शिक्षा को लेकर जो स्थिति है वह बहुत ही खराब हालत में है। दिल्ली के बहुत से सरकारी स्कूलों की बाहरी बनावट में काफी अधिक सुधार किया गया है जैसे बिल्डिंग बनाई गई है बहुत सारे कमरे बन चुके हैं लेकिन शिक्षा को लेकर जो स्थिति है वह बहुत खराब है। वह यह है कि – 1) स्कूलों में बिल्डिंग बनाकर बहुत सारे कमरे तो बना दिये गये हैं लेकिन फिर