पड़ताल
“नई शिक्षा नीति”
श्वेता
शिक्षा सभी व्यक्तियों के जीवन का महत्वपूर्ण भाग है। शिक्षा से ही मानव को अपने सोचने समझने की शक्ति व तर्क वितर्क करने की ’शक्ति प्राप्त होती है। धीरे -धीरे शिक्षा को खत्म किया जा रहा है। शिक्षा को वैज्ञानिक तरीके से ही समझा जाना चाहिए, वैज्ञानिक शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण हैं। नई शिक्षा नीति के आने के बाद शिक्षा में वेद, पुराण, रामायण व धार्मिक गतिविधि;ों को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है, जो वैज्ञानिक दृष्टिकोण का गला घोटकर शिक्षा को पंगु बनाने का पूर्ण रूप से प्रयास जारी है।
नई शिक्षा नीति का मकसद सिर्फ रोज़गार से जोड़ना नहीं अपितु वैज्ञानिक शिक्षा को खत्म करना है। नई शिक्षा नीति में स्किल डवलपमेंट टेक्नोलॉजी से जोड़ने के साथ-साथ मानवीय मूल्यों व षारीरिक शिक्षा को भी बढ़ाया जाएगा।
मोहन भागवत ने नई शिक्षा नीति में चारों वेद, पुराण, उपनिशद, रामायण ,गीता दर्शन जैसे धर्म की शिक्षा संतवाणी उनके अनुसार यह शिक्षा भारत के लोगों को मिलनी ही चाहिये ताकि लोगों को सोचने का मौका ना मिले वह लोग अपने धार्मिक गति विधि में उलझ कर सीमित रह जाए। इससे पूर्व वाली सरकार व जब से मोदी सरकार ने सत्ता संभाली है शिक्षा उच्च शिक्षा पर हमले तेज हुए हैं। नई शिक्षा नीति के बाद शिक्षा का भगवाकरण किया जा रहा है। दूरस्थ व ओपन शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है। भारत के विश्वविद्यालयों को दूसरे देशों के छात्रों के अनुकूल बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं।
सरकार ने विश्व व्यापार संगठन विश्व बैंक के निर्देशों को पूरा करने के लिए अपने प्रयास तेज कर दिये हैं, नई शिक्षा नीति लाने से पहले ही इससे विभिन्न तरीकों और नामों से लागू किया जाने लगा है। सरकार स्कूल से अपनी ज़िम्मेदारी खत्म या कम करना चाहती है पिछली सरकार द्वारा शिक्षा अधिकार अधिनियम भी एक ऐसा ही प्रयास था जिसे कानून 2009 में लागू हुआ और शिक्षा की जिम्मेदारी सरकार से हटाकर मां-बाप व निजी स्कूलों पर डाल दी ।
दिल्ली में पत्राचार जैसी प्रणाली है, जो कि आर्थिक रूप से पिछड़े लड़कियों व ड्रॉप आउट के लिए है। दिल्ली सरकार ने कक्षा 9 में फेल बच्चों को पत्राचार में सीधे ही कक्षा 10 में डाल दिया। वह 6 से 8 तक कक्षा के बच्चों को तीन भागों में बाँटा निष्ठा, नॉन निष्ठा व प्रतिभा और 6 से 8 के बच्चों का सिलेबस आधा कर दिया। ग्रुप के अनुसार उन्हें पेपर देना होता है, इसे तेज व कम तेज बच्चों में भेदभाव को बढ़ावा मिलता है व उन्हें जिस शिक्षा का ज्ञान होना चाहिए उन्हें वह नहीं मिल पाता तथा आगे जाकर वे बच्चे फेल हो जाते हैं। विश्वविद्यालय में सी.बी.सी.एस लागू किया गया जिसमें विश्वविद्यालयों में पढ़ाने वाले बच्चों को कोर्स के अनुसार कम ही पढ़ाया जाता है। वह प्रोजेक्ट में अधिक से अधिक समय बर्बाद हो जाता है, जिससे छात्र शिक्षा के ऊपर हो रहे हमलों के बारे में ना सोचकर प्रोजेक्ट बनाने में लगे रहते हैं। यह एफ.वाई.यू.पी का ही एक नया रुप है इसे 400 विश्वविद्यालय में स्नातक व स्नातकोत्तर दोनों ही स्तरों पर इसे लागू किया जा रहा है, इससे कोर्सों को अलग-अलग श्रेणियों में काटा व बांटा जा रहा है जैसे कि कोर फ़ाउंडेशन इलेक्टिव इत्यादि।
भगवाकरण आर.एस.एस सदा ही शिक्षा की अंतर्वस्तु व दिशा को कहर हिंदुत्व की ओर ले जाना चाहता है जैसे-जैसे साम्राज्यवाद का संकट गहरा रहा है, शासक शिक्षा को व्यापारी दृष्टि सेवा बना देने तथा इसे विदेशी व्यापारियों के लिए खोलने जैसी मांगों को पूरा करना चाहते हैं। ऐसे में हिंदुत्ववादी संगठन पनपते हैं क्योंकि वह जनता का ध्यान वास्तविक मुद्दों से हटाकर अंध भक्ति की ओर ले जाते हैं नई शिक्षा नीति में वैज्ञानिक की जगह रूढ़िवाद को बढ़ावा दे रही है।
आर.एस.एस भारत की केंद्रीय सरकार पूरी कोषिष कर रही है कि शिक्षा की अंतर्वस्तु को बदला जाए जिन राज्यों में इनकी सरकार है वहां पर पाठ्य पुस्तकों में कई अध्याय बदल दिए गए हैं जैसे राजस्थान में नेल्सन मंडेला का अध्याय हटा दिया गया है गुजरात में पाठ्यक्रम में ना केवल गांधी के नकारात्मक पहलुओं पर चर्चा की गई है बल्कि नाजीवाद और हिटलर के गुणगान करते अध्याय भी जोड़े गए हैं मध्यप्रदेश में गीता सार जोड़ा गया है।
इतिहास को दोबारा लिखा जा रहा है। हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा प्रताप को विजय चित्रित किया गया है। मुस्लिम शासकों विषेशकर मुगल काल के इतिहास को दोबारा लिखा जा रहा है इन्होंने अशोक को भी नहीं छोड़ा है। षिवा जी को महान देष भक्ति चित्रित किया जा रहा है, क्योंकि वह हिंदू राजा था।
विज्ञान को भी नष्ट करने के प्रयास जारी हैं। बाबा रामदेव ने आईआईटी को निर्देश दिया है कि वे बैल के जेनेटिक कोड पर शोध करें ताकि गाय आधारित खेती को विकसित किया जा सके। वह मिथकीय चरित्रों व कथाओं को वास्तविक चरित्र को इतिहास बनाना चाहते हैं। मिथकों में वर्णित रहस्यमय षक्तियो व कल्पनाओं को प्राचीन काल की विकसित तकनीक बता महिमामंडल कर रहे हैं इन सभी समस्या के लिए सबको मिलकर आवाज़ उठानी होंगी ताकी शिक्षा में सुधार कि;ा जाए सभी छात्र संगठन को अपनी आवाज़ बुलंद करनी होंगी।
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